इन तिथियों व योगों का लाभ लेना न भूलें

30 अप्रैल : गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से रात्रि 1:53 तक)

4 मई : त्रिस्पृशा-मोहिनी एकादशी (उपवास से 1000 एकादशी व्रतों का फल)

5 से 7 मई : वैशाख के इन अंतिम तीन दिनों के प्रातः पुण्यस्नान से पूरे वैशाख मास-स्नान का फल

14 मई : विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल : सुबह 10:53 से शाम 5:17 तक) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का लाख गुना फल)

18 मई : अपरा एकादशी (महापापों का नाश)

26 मई : मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से रात्रि 1:09 तक)

28 मई : गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से सुबह 7:27 तक) (ध्यान, जप, दान, पुण्य महाफलदायी)

2 जून : निर्जला एकादशी (व्रत से अधिक मास सहित 26 एकादशियों के व्रत का फल; स्नान, दान, जप, होम आदि अक्षय फलदायी)

8 जून : विद्यालाभ योग (गुजरात-महाराष्ट्र छोड़कर भारतभर में) (पढ़ें इसी अंक के ‘सुखमय जीवन की अनमोल कुंजियाँ’ लेख में ‘विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति का उपाय’ ।)

9 जून : मंगलवारी चतुर्थी (सूर्यो. से रात्रि 7:39)

14 जून : षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर 12:39 से सूर्यास्त) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का 86,000 गुना फल)

17 जून : योगिनी एकादशी (महापापों को शांत कर महान पुण्य देनेवाला तथा 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल प्रदान करनेवाला व्रत)

20 जून : दक्षिणायन आरम्भ (पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म कोटि-कोटि गुना अधिक व अक्षय फलदायी)

21 जून : सूर्यग्रहण (पढ़ें इसी अंक का लेख - ‘पूज्य बापूजी के वचन अपनायें, विनाशक योग में भी अविनाशी परमात्मयोग पायें’ ।)
(अधिक जानकारी हेतु आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध कैलेंडर, डायरी लें ।)